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Sawan Me Rudrabhishek ke Fayde: गृहक्लेश, शिक्षा में बाधा, कालसर्प योग, व्यापार में नुकसान रोकने जैसे अनेकों लाभ हैं रुद्राभिषेक के

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Rudrabhishek In Sawan: भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से रोग का नाश, दुख-दारिद्रय का शमन तो होता ही है, और भी कई आश्चर्यजनक लाभ हैं रुद्राभिषेक के...

धर्म डेस्क। भगवान भोलेनाथ सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देव है। उनसे भक्तों का कष्ट देखा नहीं जाता है। वह अपनी शरण में आए सभी भक्तों का दुःख हर लेते हैं। शिव और रुद्र एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द हैं। रुद्राभिषेक का अर्थ हुआ भगवान भोलेनाथ का अभिषेक। रुद्राभिषेक से कुंडली से पातक और महापातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि आदिदेव भोलेनाथ की आराधना से सभी देवताओं की अर्चना हो जाती है। रुद्राभिषेक के एक नहीं अनेकों लाभ हैं, जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

रुद्राभिषेक के महत्वपूर्ण लाभ

  • जल से रुद्राभिषेक करने से वर्षा होती है जीवन में समृद्धि आती है।
  • कुशोदक से रुद्राभिषेक करने से रोगों का प्रकोप शांत होता है।
  • दही से रुद्राभिषेक करने से भवन वाहन की अभिलाषा पूर्ण होती है।
  • गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।
  • शहद व घी से रुद्राभिषेक करने से धन की वृद्धि होती है।
  • तीर्थ के जल से रुद्राभिषेक मोक्ष प्रदान करता है।
  • इत्र मिश्रित जल से रुद्राभिषेक करने से रोग का नाश होता है। 
  • दूध से रुद्राभिषेक करने से सन्तान की प्राप्ति और प्रमेह रोग में आराम मिलता है।
  • ज्वर नाश के लिए शीतल जल या गंगा जल से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
  • घी की धारा संग सहस्त्रनाम मंत्रों का उच्चारण करते हुए रुद्राभिषेक करने से वंश वृद्धि होती है।
  • शत्रु के शमन के लिए सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
  •  शक्कर मिले जल से रुद्राभिषेक करने से विद्वता आती है।
  • शहद से रुद्राभिषेक करने से तपेदिक रोग दूर होता है। 
  • शहद से रुद्राभिषेक करने से कुंडली के पातक कर्म नष्ट हो जाते हैं। 
  • गाय के दूध से रुद्राभिषेक करने से आरोग्यता मिलती है। 
  • साधारण जल से अभिषेक भी फलदायी होता है।

सावन में रुद्राभिषेक का है बहुत है महत्व

सावन विशेषकर अधिकमास में किया गया रुद्राभिषेक विशेष फलदायी होता है। पंडित अजय कुमार शास्त्री बताते हैं कि रुद्राभिषेक कभी भी कराया जा सकता है। केवल यह देखना होता है भगवान का शिव का वास है या नहीं। कहते हैं कि सोमवार, प्रदोष, तेरस या शिवरात्रि के दिन गाय के दूध से रुद्राभिषेक किया जाना फलदायी माना गया है।रुद्राभिषेक में दही, दूध, घी, शहद और शक्कर मिलाकर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। रोग निवारण या अभीष्ट फल के। लिए अलग-अलग द्रव्य से रुद्राभिषेक का विधान शास्त्रों में बताया गया है।

पारद शिवलिंग के रुद्राभिषेक का है विशेष महत्व

किसी भी प्राण प्रतिष्ठा वाले शिवलिंग पर रुद्राभिषेक किया जाता है तो मनोवांछित फल मिलता है। लेकिन, पारद शिवलिंग के रुद्राभिषेक से त्वरित और चमत्कारिक लाभ देखने को मिलते हैं। ऐसे में मान्यता चली आ रही है कि रुद्राभिषेक से मानव मात्र के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। 

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